वस्तु एवं सेवा कर (Goods & Service Tax/GST)
क्यों जरुरत पड़ी GST की :-
- वस्तुओं व सेवाओं पर समान करारोपण के लिए
- 122वें संविधान संशोधन विधेयक को राष्ट्रपति का अनुमोदन- 8 सितम्बर, 2016, जिससे अब यह 101वें संविधान संशोधन अधिनियम(एक्ट) के रूप में अधिसूचित हो गया है
- राज्य सभा(उच्च सदन) द्वारा पारित - 3 अगस्त
- लोक सभा(निम्न सदन) द्वारा पारित - 9 अगस्त
- GST सिस्टम में कर के 3 स्तर होंगे :- सेन्ट्रल टैक्स, स्टेट टैक्स(जो सप्लाई पर लगेगा) और तीसरा है इंटीग्रेटेड GST(जो राज्यों के बीच होने वाले सौदों पर लगेगा)
- नेशनल कौंसिल ऑफ़ एप्लाइड रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार - GST लागू होने से भारत देश की जीडीपी में 1 से पौने 2 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज हो सकती है
- अक्सर होने वाले कर विवादों से छुटकारा
- सप्लाई -चेन की दिक्कतों का दूर होना
- GST दर का फैसला एक नव-गठित GST कौंसिल करेगी जिसमे केंद्र व राज्यो का प्रतिनिधित्व होगा
- व्यापारी व उद्योगपतियों को अपना लेखा-जोखा रखने में सहायता मिलेगी व सरकार को पारदर्शी व्यवस्था लागू करने में आसानी होगी
- राजस्व में बढ़ोत्तरी व कीमतों में कमी
क्यों जरुरत पड़ी GST की :-
- अब तक वस्तुओं व सेवाओं पर अलग-अलग कर(TAX)केंद्र व राज्य सरकार द्वारा लगाये जाते थे जैसे - सेवा कर, केन्द्रीय उत्पाद कर, मनोरंजन कर, राज्य उपकार, VAT, राज्य बिक्री कर, विज्ञापन कर आदि, अब यह सभी एक टैक्स के रूप में लगेंगे जिसे GST(वस्तु व सेवा कर)के नाम से लगाया जायगा
- अल्कोहल(शराब)
- शुरूआती सालों में पेट्रोल,डीजल, एलपीजी व रसोई गैस भी
- छूट सीमा : 20 लाख़ रुपये तक का कारोबार(पूर्वोत्तर व अन्य छोटे राज्यों(उत्तराखंड, हिमांचल प्रदेश, जम्मू कश्मीरआदि) हेतु केवल 10 लाख रुपये)
- केंद्र व राज्य के बीच प्रशासनिक जिम्मेदारी की सझेदारी
- 1.5 करोड़ रुपये के नीचे के लेन-देन राज्य सरकारों के अधीन होंगे
- राज्य सरकारों में स्वेक्षा से सेवाओं पर GST केंद्र सरकार को सौंपने की सहमति दी
- सभी सेस GST में समाहित कर दिए जायेंगे
- राजस्व निर्धारण हेतु आधार - वर्ष 2015-16 को माना जायगा
- GST की दर 17-20% के बीच रहने की संभावना
- 1 अप्रैल, 2017 से लागू होने की संभावना
- GST कौंसिल की पहली बैठक - 22-23 सितम्बर, 2016, न्यू दिल्ली
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