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Study Material :: Jainism - जैन धर्म से जुड़े महत्वपूर्ण परीक्षा उपयोगी तथ्य

                        Jainism - जैन धर्म से जुड़े महत्वपूर्ण परीक्षा उपयोगी तथ्य

1) जैन धर्म का संस्थापक ऋषभदेव को माना जाता है ,जो पहले जैन तीर्थकर भी थे ,इनको आदिनाथ भी कहा जाता है इन्होने जैन आन्दोलन का प्रवर्तन किया था
2) जैन धर्म में कुल २४ तीर्थकर हुए ,महावीर स्वामी जैन धर्म के २४ वे तीर्थकर थे ।
3) २३ वे तीर्थकर पार्स्वनाथ थे , २२ तीर्थकर नेमिनाथ थे
4) जैन तीर्थकर ऋषभदेव तथा अरिष्टनेमि का उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है
5) पार्श्वनाथ काशी के इह्वाकू वंशीय रजा अश्वसेन के पुत्र थे।

6) पार्श्वनाथ का काल महावीर से २५० वर्ष पूर्व माना जाता है इनके अनुयायियो को निर्ग्रन्थ कहा जाता था
7) जैन अनुश्रुतियो के अनुसार पार्श्वनाथ को १०० वर्ष की आयुमें सम्मेद पर्वत पर निर्वाण प्राप्त हुआ
8) पार्शवनाथ द्वारा प्रतिपादित चार महाब्रत इस प्रकार है – सत्य ,अहिंसा ,अपरिग्रह तथा अस्तेय
9) महावीर स्वामी का जन्म वैशाली के निकट कुण्डग्राम या कुण्डलपुर में 540 bc में हुआ था ,इनकी माता का नाम त्रिशला ,वैशाली के lichavi गणराज्य के प्रमुख चेटक की बहन थी ,इनके पिता का नाम सिद्धार्थ था जो की gyatrik छत्रियों के संघ के प्रधान थे इनकी पत्नी का नाम यशोदा था तथा बड़े भाई का नाम नन्दिवर्धन था
10) यशोदा से जन्म लेने वाली महावीर की पुत्री प्रियदर्शना का विवाह जमाली नमक छत्रिय से हुआ था वह महावीर का प्रथम शिष्य था ,

11) महावीर के बचपन का नाम वर्धमान था
12) महावीर ने 30 वर्ष की उम्र में माता पिता की मृत्यु के पश्चात् अपने बड़े भाई नन्दिवर्धन से अनुमति लेकर सन्यास जीवन को स्वीकारा था
13) 12 वर्ष तक लगातार कठोर तपस्या तथा साधना के बाद 42 वर्ष की अवस्था में महावीर को जुम्भिग्राम का समीप रिजुपालिका नदी के किनारे एक साल वृक्ष के नीचे ज्ञान की कैवल्य ( सर्वोच्च ज्ञान ) की प्राप्ति हुई थी
14) कैवल्य प्राप्त हो जाने के पश्चात महावीर स्वामी को केवलिन, जिन (विजेता) ,अर्ह(योग्य) तथा निर्ग्रन्थ (बंधन रहित ) जैसी उपाधियाँ मिली
15) महावीर की मृत्यु पावापुरी (राजगृह) में 72 वर्ष की उम्र में 468 ई.पू. में हुई

16) जैन धर्म के त्रिरत्न सिद्धांत सम्यक धारण ,सम्यक हरित्र ,सम्यक ज्ञान है
17) जैन धर्म ने ही “अणुव्रत सिद्धांत “ का प्रतिपादन किया था
18) जैन धर्म ने ही “स्यादवाद सिद्धांत “ का प्रतिवादन किया था
19) जैन धर्म का क्रोड़ सिद्धांत एवं दर्शन “अनेकांतवाद” है
20) जैन धर्म के अनुसार संसार की रचना एवं पालन पोषण सार्वभौमिक विधान से हुआ

21) “अहिंसा “ जैन धर्म का आधारभूत बिंदु है
22) महावीर स्वामी ने अपना उपदेश प्राकृत (अर्धमागधी ) भाषा में दया था
23) प्रथम भिछुनी नरेश दधिवाहन की पुत्री चंपा थी
24) प्रथम जैन संगती 322 से 298 ई.पू. में पाटलिपुत्र में स्थुलभाद्र और सम्भूति विजय के निरिक्षण में हुई थी ,प्रथम जैन संगती का दक्षिणी जैनों ( दिगम्बर ) ने विरोध किया था इसिलए इसी सभा के के बाद जैन धर्म दो सम्प्रदायों में विभक्त हो गया था ,१.श्वेताम्बर ( जो सफ़ेद कपडे पहनते हैं ) ,२.दिगम्बर (जो एकदम नग्न अवस्था में रहते हैं )
25) दूसरी जैन संगती 512 ई. में , वल्लभी(गुजरात) नमक स्थान पर देवर्द्धि छामश्रवन की अध्यक्षता में हुई थी

26) जैन धर्म का महत्वपूर्ण ग्रन्थ कल्पसूत्र संस्कृत भाषा में लिखा गया है
27) जैन धर्म में देवताओ के अस्तित्व को स्वीकार किया गया है किन्तु उनका स्थान “जिन” से निचे रखा गया है
28) महावीर पुनर्जन्म एवं कर्मवाद में विश्वास करते थे
29) महावीर की मृत्यु के पश्चात जैन संघ का प्रथम अध्यक्ष “सुधर्मन” था
30) जैन मठो को “बसादी” कहा जाता है

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