फरवरी में 28 दिन क्यों होते है?
हा मुझे पता है आप पहले तो यही तर्क देंगे कि "इस बार तो 29 दिन है। "
कभी सोचा है कि जब साल के बाकी महीनों में 30 या 31 दिन होते हैं, तो बेचारे फरवरी को सिर्फ 28 दिन क्यों मिलते हैं! तो आपको बता दें कि इसमें फरवरी की कोई गलती नहीं है। इतिहास में लिखी गई बातों पर यकीन करें तो बेचारा फरवरी शुरुआत में कैलेंडर का हिस्सा ही नहीं था। आज जो कैलेंडर इस्तेमाल किया जाता है वह रोमन कैलेंडर से काफी मिलता-जुलता है। काफी पहले समय में यह कैलेंडर मार्च से शुरू होता था और दिसंबर में खत्म हो जाता था। तब साल में दिन केवल 304 होते थे और महीने सिर्फ दस। इसके पीछे वजह यह बताई जाती है कि उस समय 61 दिन रोम में बहुत बर्फ पड़ती थी। लोग कोई काम नहीं कर सकते थे। रोमन लोगों को लगता था कि इन 61 दिनों को कैलेंडर में जोड़ना ही बेकार है। इसके बाद फरवरी की इस कहानी में आए रोमन सम्राट पूमा पोम्पलियस। उन्होंने इन 61 दिनों को साल में जोड़ने के लिए कैलेंडर में दो और महीने जनवरी व फरवरी जोड़ दिए। इस तरह फरवरी साल का आखिरी महीना हो गया। लेकिन इसके बाद भी कुछ त्योहारों की तारीख सही नहीं बैठी। माना जाता है कि यही हिसाब सही करने के लिए फरवरी से दो दिन कम कर दिए गए। आगे चलकर ′जूलियस सीजर′ ने इस कैंलेडर में सुधार किया और जनवरी से साल को शुरू किया। दिसंबर साल का अंतिम महीना हो गया और फरवरी साल का दूसरा महीना हो गया।
कभी सोचा है कि जब साल के बाकी महीनों में 30 या 31 दिन होते हैं, तो बेचारे फरवरी को सिर्फ 28 दिन क्यों मिलते हैं! तो आपको बता दें कि इसमें फरवरी की कोई गलती नहीं है। इतिहास में लिखी गई बातों पर यकीन करें तो बेचारा फरवरी शुरुआत में कैलेंडर का हिस्सा ही नहीं था। आज जो कैलेंडर इस्तेमाल किया जाता है वह रोमन कैलेंडर से काफी मिलता-जुलता है। काफी पहले समय में यह कैलेंडर मार्च से शुरू होता था और दिसंबर में खत्म हो जाता था। तब साल में दिन केवल 304 होते थे और महीने सिर्फ दस। इसके पीछे वजह यह बताई जाती है कि उस समय 61 दिन रोम में बहुत बर्फ पड़ती थी। लोग कोई काम नहीं कर सकते थे। रोमन लोगों को लगता था कि इन 61 दिनों को कैलेंडर में जोड़ना ही बेकार है। इसके बाद फरवरी की इस कहानी में आए रोमन सम्राट पूमा पोम्पलियस। उन्होंने इन 61 दिनों को साल में जोड़ने के लिए कैलेंडर में दो और महीने जनवरी व फरवरी जोड़ दिए। इस तरह फरवरी साल का आखिरी महीना हो गया। लेकिन इसके बाद भी कुछ त्योहारों की तारीख सही नहीं बैठी। माना जाता है कि यही हिसाब सही करने के लिए फरवरी से दो दिन कम कर दिए गए। आगे चलकर ′जूलियस सीजर′ ने इस कैंलेडर में सुधार किया और जनवरी से साल को शुरू किया। दिसंबर साल का अंतिम महीना हो गया और फरवरी साल का दूसरा महीना हो गया।
मगर कहानी यहीं खत्म नहीं होती। फरवरी के 28 दिनों के पीछे एक और दिलचस्प कहानी है। इस कहानी के किरदार है रोम के दो शासक जूलियस सीजर और ऑगस्टस सीजर। यह दोनों एक दूसरे से ईष्या करते थे। ईर्ष्या इतनी ज्यादा थी कि बेचारे फरवरी को इसकी सजा भुगतनी पड़ी। बात दरअसल ये थी कि ′ऑगस्टस सीजर′ अगस्त में पैदा हुए। अगस्त में 30 दिन होते थे, ′जूलियस सीजर′ जुलाई में पैदा हुए थे और जुलाई में 31 दिन होते थे। ′ऑगस्ट्स सीजर′ को इस बात की जलन थी कि उनके जन्म के महीने में एक दिन कम क्यों है? इसी वजह से उन्होंने फरवरी से एक दिन लेकर उसे अगस्त में जोड़ दिया। अगस्त भी 31 दिन का हो गया और फरवरी अब 28 दिन का रह गया। इसके बाद लीप ईयर का विचार आने से यह हुआ कि हर चौथे साल लीप ईयर में फरवरी के दिन 29 हो गए। कहा तो यहां तक जाता है कि एक समय में साल में 13 महीने और हर महीने में ही 28 दिन कर दिए गए थे। मगर फिलहाल का सच यही है कि 364 दिन वाले एक साल में 28 दिन फरवरी के अलावा बाकी महीनों में 30 या 31 दिन होते हैं। यह जानकारी पूरी तरह इतिहास में दर्ज सूचना पर आधारित है, हो सकता है आने वाले समय में इस सवाल के जवाब में कुछ और मजेदार तथ्य सामने आ जाएं।
अधिक जानकारी के लिए video देखे :
Courtesy : https://www.youtube.com/watch?v=AgKaHTh-_Gs
2 comments
Write commentsNice
ReplyThanks ^_^
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