भारत का संवैधानिक विकास
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भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम एवं राष्ट्रीय आन्दोलन
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- भारतीय परिषद् अधिनियम, 1892 के अन्तर्गत विधान परिषद् के बजट पर बहस करने की शक्ति प्राप्त हुई परन्तु मतदान का अधिकार नहीं था
- रेगुलटिंग एक्ट(नियामक अधिनियम), 1773 के अंतर्गत कलकत्ता में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना का प्राविधान किया गया था तथा 'सर एलिजा इम्पे' इसके प्रथम न्यायाधीश थे
- नियंत्रण परिषद् की स्थापना - पिट्स का भारतीय अधिनियम, 1784
- इंग्लिश मिशनरियों को भारत में कार्य करने की अनुमति - चार्टर अधिनयम, 1813
- गवर्नर-जनरल की परिषद् में कानूनी सदस्य की नियुक्ति - चार्टर अधिनियम , 1833
- भारत सरकार अधिनियम, 1935 के अंतर्गत केन्द्र में 'द्वेध शासन' स्थापित किया गया था जबकि प्रान्तों में द्वेध शासन का प्रावधान 1919 के एक्ट के द्वारा किया गया था (केंद्र में द्वेध शासन के तहत संघीय विषयों को 2 भागों में बांटा गया - आरक्षित(Reserved) और हस्तांतरित विषय(Transferred Subjects)
- अखिल भारतीय महासंघ स्थापित करने का प्रावधान - भारत सरकार एक्ट, 1935 के तहत
- राष्ट्रपति की अध्यादेश निर्गत करने की शक्ति दी गई/प्रेरित है - भारत सरकार अधिनियम, 1935
- भारतीय विधान पालिका प्रथम बार द्वी-सद्निय बनाई गई - 1919 के भारत सरकार अधिनियम द्वारा
- भारतियों को अपने देश के प्रशासन में कुछ हिसा लेना संभव बनाया - चार्टर एक्ट, 1833 द्वारा
- भारत के संविधान में केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन - भारत सरकार अधिनियम,1935
- एक निर्वाचित संविधान सभा द्वारा भारत के संविधान का निर्माण करने का प्रस्ताव दिया था - क्रिप्स मिशन के द्वारा (1942 ई. में II विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात )
- भारतीय संविधान सभा का गठन किया गया - कैबिनेट मिशन योजना, 1946 के अंतर्गत
- भारत की संविधान निर्मात्री सभा के अध्यक्ष थे - डॉ राजेन्द्र प्रसाद
- भारतीय संविधान सभा की स्थापना की गई थी- 09 दिसम्बर, 1946 को
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